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शनिवार, 30 मार्च 2013

यौन-अनुभव पहला



हाय दोस्तो, मेरा नाम रोमा है। मैं 22 साल की हूँ और देखने भी सुन्दर ही लगती हूँ, स्मार्ट कह सकते हैं। मुझे "हिंदी सेक्सी कहानियां" पर कहानियाँ पढ़ने का शौक है। मुझे लगता है कि सभी के जीवन में पहली बार कुछ न सेक्सी होता है, मेरे साथ भी एसा ही कुछ हुआ था जो मैं यहाँ आपको बता रही हूँ।

यह बात पिछली बारिश की ही है, मैं कॉलेज से वापिस आ रही थी, सड़कों पर सब जगह पानी ही पानी भरा हुआ था, मैं बहुत बच बच कर अपने कपड़ों को और अपने आप को बचाते हुए चल रही थी और बची भी हुई थी कि अचानक एक बाईक सवार 25-26 साल का लड़का तेज़ी से मेरे पास से गुजरा और छपाक से सड़क का काफी पानी मेरे कपड़ों पर गिरा और संतुलन बिगड़ने से मैं ज़मीं पर जा गिरी।

इतना गुस्सा आया मुझे, वैसे भी मेरा गुस्सा तेज़ ही है, मैं जोर से चिल्लाई- यू बास्टर्ड ! अंधा है क्या?

और उसने बाईक घुमाई, मुझे लगा कि लड़ने आ रहा है, मैं भी तैयार थी लेकिन जब उसने आ कर अपना हैलमेट उतारा, बालो को झटकते हुए मुझे उठाने को अपना हाथ बढाया, और सॉरी बोला तो, तो मैं उसे देखती ही रह गई, क्या हैंडसम, स्मार्ट और सेक्सी लड़का था ! सच बताऊँ तो मेरी गालियाँ गले में ही अटक गई और मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया।

उसने मुझे जैसे ही उठाया, मुझे अपने पैर में चोट का एहसास हुआ, मैं खड़ी नहीं रह सकी, उसकी बाहों में झूल सी गई और मुँह से एक पीड़ादायी आह निकली।

"ओह सॉरी ! लगता है तुम्हें तो चोट लगी है !"

उसके सीने से लगते ही मेरे गीले बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई, मैंने अपने आपको अलग किया, बोली- कोई नहीं, ठीक है !

पर मैं लंगड़ा रही थी। वो बोला- नहीं, मैं तुम्हें डॉक्टर को दिखा कर घर छोड़ दूंगा।

फिर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था उसके साथ सट कर बाईक पर बैठना मुझे अच्छा लगा।

उसने डॉक्टर को दिखाया, घुटने पर खरोंच थी, पेन रिलीफ क्रीम, बेंड-एड लगा कर उसने मुझे घर छोड़ दिया और मुझ से मेरा फोन नम्बर माँगा, मेरे हाल चाल लेने के लिए, जो मैंने उसे दे दिया।

और मैं दो दिन उसके ख्यालो में खोई रही, फिर उसका फोन आया, मैंने उसे बताया कि मैं अब ठीक हूँ तो उसने अपनी उस दिन की गलती के लिए मुझे ट्रीट देने को कहा।

मैं फ़ौरन तैयार हो गई, हम बाईक पर निकल पड़े, मुझे उसके साथ बहुत अच्छा लग रहा था, एक अच्छे रेस्तराँ में हमने फास्ट फ़ूड लिए इस बीच एक दूसरे की पढ़ाई की, शौककी बात होती रही, फिर कॉफ़ी आ गई।

मैं उस पर फ़िदा होती जा रही थी, कॉफ़ी जब लगभग ख़त्म होने को थी कि मेरा मोबाइल बजा, अचानक उसकी घण्टी से मैं अचकचा सी गई और सारी कॉफ़ी मेरी ड्रेस पर गिर गई।

मैं घबरा गई, वो भी मुझे संभालने के लिए खड़ा हो गया, मुझे अपने आप पर गुस्सा आया, मैं बोली- ओह, मैं चलती हूँ, मुझे इसे फ़ौरन ही साफ़ करना है।

वो बोला- यार तुम्हारा घर तो दूर है, इफ यू डोंट माइंड, मेरा कमरा पास ही है, वहाँ चलो प्लीज़ !

मेरा दिल धड़क रहा था पर मुझे जाना ही था क्योंकि ड्रेस खराब दिख रही थी। और वास्तव में उसका कमरा पास ही था और एकांत में भी था, वहाँ जाते ही वो मुझे बाथरूम में ले गया।

सच बताऊँ, न जाने क्यों मेरा दिल धड़क रहा था पर उससे डर भी नहीं लग रहा था, मैंने कहा- ये तो धोने पड़ेंगे, कैसे होगा यार?

वो बोला- तुम तब तक मेरे कपड़े पहन लेना।

और उसने अपनी टीशर्ट और एक लोअर दे दिया। एक अकेले लड़के के कमरे में अपने कपड़े उतारना मुझे अजीब लग रहा था लेकिन मजबूरी थी तो क्या करती।

उसके कपड़ों में एक अजीब सी गंध थी जो मुझे उत्तेजित कर रही थी, मैं उसके कपड़ों में और भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी, वो मुझे देखता ही रह गया।

मैंने गीले कपड़े पंखे के नीचे फ़ैला दिए, उसने तेज़ पंखा चला दिया।

वो मुझे ही देखे जा रहा था, मुझे उसका यों देखना और भी ज्यादा गुदगुदा रहा था और कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई थी।

फिर उसी ने हिम्मत दिखाई और बोला- रोमा, यार इन कपड़ों में भी तुम तो अच्छी लग रही हो।

मैं आँखे तरेर कर बोली- इन कपड़ों से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं तो हूँ ही अच्छी !

"ओह नहीं !" वो बात को संभालने के लिए बोला- मेरा मतलब था कि...

"ख़ूब जानती हूँ मैं तुम्हारा मतलब ! यूँ कहो ना कि इन कपड़ों में मैं सेक्सी लग रही हूँ, है ना?"

और मेरे इस तरह बेधड़क बोलने से वो हक्का-बक्का रह गया, लेकिन उसमें भी हिम्मत आ गई, बोला- हाँ यार !

फिर वो मेरे नज़दीक आने लगा, अब मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम होने लगी और मैं थोड़ा पीछे की तरफ सरकी, तो अचानक कुछ सोच कर वो वहीं रुक गया और बोला- तुम अपने कपड़े सुखाओ, मैं अभी आया बस दस मिनट में !

मैं कुछ समझ नहीं पाई, लगा कि मेरा व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगा, मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आया क्योंकि उस लड़के का नशा मुझ पर छाता जा रहा था, मैंने उसे रोकने की कोशिश की पर वो जल्दी ही आने का कह कर चला ही गया।

और मैं 'धत्त' बोल कर उसके बेड पर पसर गई।

और तभी मुझे गद्दे के नीचे कुछ मोटी मोटी सी चीजें चुभी, मैंने सोचा कि क्या है ये, और गद्दा पलट दिया।

और वहाँ जो कुछ देखा, उसे देख कर मेरी आँखें फटी फटी रह गई...

वहाँ निहायत ही अश्लील, कामुक, नग्न और सेक्स में लिप्त चित्रों से भरी पड़ी पत्रिकाओं और उपन्यासों का ढेर पड़ा था जो शायद अचानक मेरे कमरे में आ जाने की वजह से जल्दबाजी में छुपाया गया था।

और मैं एकटक वो सब देखती रह गई, घबरा कर जैसे ही पीछे हटी तो उससे टकरा गई, वो ना जाने कब मेरे पीछे आ गया था, वो मेरे हाथ से वो किताबें छीनते हुए बोला- सॉरी रोमा, प्लीज़ ये तुम्हारे देखने की नहीं हैं।

और जाने मुझे क्या हुआ उस दिन, "क्यों? मेरे देखने की क्यों नहीं हैं?" कहते हुए वापिस उसके हाथ से वो अश्लील पत्रिका छीन ली क्योंकि मैं वैसे ही उसके अचानक जाने से गुस्से में थी।

वो बोला- ओके बाबा, देख लो लेकिन मुझे गलत तो नहीं समझोगी ना?

मैं बोली- हाँ समझूंगी तो !

वो बोला- सॉरी यार !

"इट्स ओके" मैं बोली और उन पत्रिकाओं को देखने लगी, उनमें नंगी लड़कियों के बहुत सारे फोटो थे, मैंने कहा- तुम्हें लड़कियों को नंगा देखने में मज़ा आता है?

वो फिर झेंपते हुए बोला- सॉरी यार !

मैंने डाँटते हुए कहा- कहो ना कि आता है !

और फिर आगे के पन्ने पलटे तो वहाँ स्त्री-पुरुष के संभोगरत चित्र थे, मैंने अनजान बनते हुए पूछा- हाय राम ! ये क्या कर रहे हैं/

वो थोड़ा दूर खड़ा था, बोला- क्या?

मैंने उसे अपने पास खींच लिया और कहा- अकेले में तो खूब देखते हो। अब मुझे नहीं बताओगे?

वैसे भी मेरे कपड़े सूखने में समय लगेगा।

और अब मैं बेड पर बैठी थी, उसे मैंने अपने पीछे बिठा लिया और एक एक करके और ध्यान से हम दोनों उन चित्रों को देख रहे थे, लेकिन मेरी चूत में कुछ गीला गीला सा होने लगा था, छातियाँ भी कसमसाने लगी थी, और उसकी जो टीशर्ट मैंने पहनी हुई थी उसका गला काफ़ी खुला था, ब्रा मैंने पहनी नहीं थी और वो इस तरह मेरे पीछे था कि उसे सब कुछ दिख रहा था और मुझे यहाँ लिखते हुए अब शर्म आ रही है कि मैं खुद उसे दिखाना चाह रही थी, और शायद इसी लिए मैंने टी शर्ट में हाथ डाल कर अपने दोनों स्तनों को मसला।

अब उसकी भी हिम्मत बढ़ गई थी, वो बोला- क्या हुआ रोमा? ऐनी प्रोब्लम?

मैंने कहा- हाँ, जाने क्या हो रहा है? अब इन्हें मसलूँ या किताब संभालूँ?

वो बोला- यार, तुम तो किताब ही संभालो, ओके ! इन्हें मैं सहला देता हूँ।

और उस बदमाश ने बिना मेरे जवाब की प्रतीक्षा किये मेरे दोनों उभार अपने हाथो में भर लिए, और जैसे ही उसने मेरे चूचों को मसलना शुरू किया, मैं वासना के सागर में गोते लगाने लगी और मेरी आँखें बंद सी हो गई, आगे कोई अश्लील सी कहानी थी, मैंने कहा- ओके अब यह कहानी तुम मुझे पढ़ कर सुनाओ।

उसने कहा- ओके !

और अब उसने मुझे पीछे हट के अपनी गोदी में लेटा लिया और उसके दोनों हाथ टी शर्ट के रास्ते मेरे स्तनों तक जा रहे थे तो मैंने कहा- तुम्हारी टीशर्ट फट जायेगी आज !

वो बोला- हाँ यार, सही कहा !

और उसकी टी शर्ट की चिंता करना मेरे लिए गलत हो गया उस साले ने अपनी टीशर्ट मेरे शरीर से निकाल ही दी और यह सब इतना अचानक हुआ कि मुझे पता ही नहीं चला और अब मैं नग्न-वक्षा उसकी बाहों में थी, वो मुझे वो उत्तेजक कहानी और भी उत्तेजक बना कर सुनाता जा रहा था।

अब मैं पूरी तरह से उसके काबू में थी और खुद भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी।

कहानी में उसने जब यह बोला कि लड़के ने अपने सारे कपड़े उतार दिए तो यह सुन कर मैं उससे बोली- चलो, तुम भी उतारो अपने सारे कपड़े !

और सही में उसने अपने सारे कपड़े एक एक कर के उतार दिए, और उसका शक्तिशाली, सख्त, बुरी तरह तना हुआ उठा हुआ लंड !

"ओह माय गॉड !"

काली घनी झाड़ियों में से उठा हुआ क़ुतुब मीनार !

मैं तो देख कर ही अचम्भित रह गई, और मुझे पूरे बदन में झुरझुरी सी आ गई, मुँह सूख गया, चेहरा लाल और गर्म हो गया।

वो भी मेरी हालत देख कर शायद समझ गया कि यह लड़की तो गई आज काम से, वो बोला- क्या हुआ?

और मेरे पास आया तो उसका लंड मस्त हिल रहा था, उसने कहा- आगे लिखा है !

यह कहते हुए मेरी ठोड़ी पकड़ कर चेहरा ऊपर किया, बोला- तुम्हारे ये बूब्स !

और इतना कह कर दोनों को पकड़ लिया इनके बीच में अपना ये लंड रख कर हिलाना है !

उसने अपना लंड मेरे दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और ऊपर-नीचे करके हिलाने लगा, लंड कड़क था, मेरे उरोज नर्म, पर मज़ा आ रहा था।

फिर उस शैतान ने लंड को नीचे कम और ऊपर ज्यादा किया, इससे हुआ यह कि अब उसका लंड मेरे होठों को छूने लगा था।

मुझे यह अजीब लग रहा था और अच्छा भी, ऐसी इच्छा हो रही थी कि खा जाऊँ !

और यह काम भी हो गया, उसने अचानक लंड को चूचों से हटा कर मेरा चेहरा कस कर पकड़ के उसे अपने लंड पर दबा दिया और उसका लंड मेरे मुँह में अंदर तक जा घुसा, मेरा

दम घुटने सा लगा लेकिन वो उसे हिलाता रहा और आखिर मुझे उसे जोर से धक्का देकर दूर करना पड़ा।

वो सॉरी बोलते हुए माफ़ी मांगने लगा, फिर उसने मुझे पीछे पलंग पर लेटा दिया और बिना समय गँवाए जो अभी मैंने पहन रखा था को खींच कर निकाल दिया।

अंदर मैंने अंडरवियर नहीं पहन रखी थी तो मैं पूरी नंगी हो गई। मेरी पैंटी गीली हो गई थी तो मैंने सूखने डाल रखी थी।

अब मेरी चूत उसके सामने थी जिस पर बालो का घना गुच्छा था, मुझे बेहद शर्म आई और उसे छुपाने के लिए मैंने अपने पाँव सिकोड़ लिए लेकिन उसने पूरी ताकत लगा कर उन्हें वापिस फ़ैला दिया और इस बार पैर चौड़े करते ही उसने मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया।

और थोड़ी ही देर में मेरी झांटों को मेरी चूत को चीरती हुई उसकी जीभ मुझे अंदर जाती महसूस हुई, मेरे मुँह से चीख निकल गई और बहुत ज्यादा गीला गीला सा लगने लगा।

वो इत्मीनान से उसे चूसता-चाटता रहा, और फिर वो मुझे चोदने की तैयारी करने लगा तो मैं घबरा गई और उठ बैठी- प्लीज़ ये मत करो, कुछ गड़बड़ हो सकती है।

लेकिन वो बोला- कुछ गड़बड़ नहीं होगी जान ! ये देखो अभी मैं मार्किट ये ही लेने गया था।

यह कहते हुए उसने मुझे कंडोम दिखाया, यानि उसकी तो पूरी तैयारी थी मुझे चोदने की !

फिर उसने कंडोम लंड पर चढ़ा कर एक हाथ से मेरा मुंह बंद करके और लंड को चूत के मुँह पर रख कर अंदर घुसा दिया और मेरे मुँह से भयानक चीख निकली, मैं दर्द से बिलबिला उठी लेकिन मेरी चीख उसकी हथेली में दब कर रह गई।

सच बताऊँ, मुझे उस समय तो मज़ा नहीं आया, और जल्दी ही दोनों झड़ भी गए।

फिर हम दोनों काफी देर तक यूँ ही निर्वस्त्र पड़े रहे, और जब मैं थोड़ी सामान्य हुई तो तो उठ कर बाथरूम भागी, अपने आपको साफ़ करने के लिए, लेकिन वो भी पीछे पीछे आ गया और शावर चला दिया और शेम्पू उड़ेल कर मुझे और खुद को झाग में सराबोर कर दिया और फिर यहाँ जो लिपटा-चिपटी का दौर चला, वो मुझे बहुत अच्छा लगा, और उसने फिर अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया।

मैंने कहा- अब फिर क्यों?

उसने बहुत नादान सा जवाब दिया- यार कंडोम दो लाया था, कर लो ! वरना ये बेकार जाएगा।

और मैं पागल फिर उसकी बातो में आ गई और हमने फिर सेक्स किया लेकिन अच्छा ही किया क्योंकि इस बार मुझे बहुत-बहुत मजा आया।

तो दोस्तो, यह था मेरा पहला यौन-अनुभव !

आप लोग बताना कि कैसा लगा !

रोमा

ro888ma@gmail.com

बुधवार, 27 मार्च 2013

train main

मैं द्वीतीय श्रेणी की ए सी बोगी में टी टी को बोल कर चढ़ गया। उसी बोगी में एक लड़की अपने पापा के साथ चढ़ी, क्या कमाल की माल थी वो लड़की।
अन्दर कहीं भी बैठने का जगह नहीं थी। सामान रख कर हम तीनों जने एक तरफ़ खड़े थे। उनकी भी बर्थ कन्फर्म नहीं थी, यह बात मुझे अंकल से बात करके पता चली।
उसका नाम निशा था जो मुझे बाद में पता चला था। मैं निशा को कनखियों से देख रहा था और मैंने देखा कि वह भी मुझे बीच-बीच में देख रही है।
एक बार हम दोनों की नजरें मिली। मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया तो वह भी जवाब में मुस्कुरा दी।
मैंने मन ही मन सोचा- बेटा, लड़की हंसी तो फंसी।
बस फिर क्या था, यह सोचते ही मेरा लंड एकदम से तन कर खड़ा हो गया और पैंट का जिप वाला जगह फ़ूल गया। मैं बार बार लण्ड को दबा कर सैट कर रहा था लेकिन वो साला आज तो चूत मारने की मूड में था इसलिए बस तन कर खड़ा था।
मैंने देखा कि निशा भी अब यह सब देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
निशा के पापा टी टी की सीट, जो गेट के पास थी, उस पर बैठ गए थे। उनकी उम्र कुछ ज्यादा थी या फिर कुछ बीमार से थे। वो आँखें बंद करके बैठे थे।
टी टी जब हमारे बोगी में आया तो मैं उसके पास गया और बोला- सर एक सीट दे दो ना प्लीज़ ! जो भी आपको पैसे लेने हों, मैं दे दूंगा।
टी टी ने कहा- बहुत मुश्किल है क्योंकि अभी तक आर ए सी क्लीयर नहीं हुई है।
मैंने टी टी के हाथ में एक 500 का नोट थमाया और बोला- कोई बात नहीं है, आप देख लो, हो जाये तो बता देना।
टी टी अपने दांत दिखा कर चला गया।
मैंने निशा से अब बात करनी की सोची, मैंने बोला- क्या भीड़ होने लग गई है आजकल रेल में भी ! देखो सीट नहीं मिल रही है।
मैंने पूछा- वैसे आप लोगों को जाना कहाँ है?
उसने कहा- हमें कोलकाता जाना है। टिकट कॉन्फर्म नहीं हुई और अभी हॉस्टल से छुट्टी हो गई है तो जाना जरुरी था।
फिर उसने बताया कि वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। उसके साथ उसके पापा हैं, जो उसको लेने आये हैं। लेकिन उनको थोड़ा नशा करने की आदत है, इसलिए उनको मैंने बैठा दिया है।
मैंने पूछा- टिकट कॉन्फर्म होने की उम्मीद नहीं दिख रही है?
उसने कहा- आप बात करके देखो, शायद कुछ हो।
फिर हम दोनों एक दूसरे के बारे में बातें करने लग गए। वो मुझे बातचीत में बहुत अच्छी लगी, उसकी हंसी बहुत ही मन मोहक थी। अब धीरे धीरे वह मुझसे खुलने लगी थी।
मैंने भी मजाक मजाक में पूछा- तुम लोग हॉस्टल में तो खूब मौज करते होंगे ! वैसे क्या क्या करते हो तुम लोग हॉस्टल में?
वो थोड़ा सा शरमा गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, यदि तुमको अच्छा नहीं लगता बताने को तो मत बताओ।
निशा बोली- ऐसी कोई बात नहीं है। बस थोड़ी शर्म आ रही है।
मैंने कहा- शर्म की छोड़ो निशा, हमें अभी यहाँ शायद रात भी कटनी पड़े। तो थोड़ा सा टाइम पास कर लेते हैं।
वो बोली- बात तो आपकी सही है लेकिन चूँकि आज पहली बार हम और आप से मिले हैं तो थोड़ी झिझक है। वैसे आप इन्सान बहुत अच्छे हो।
फिर वह अपनी हॉस्टल की बात बताने लगी कि कैसे वो सब मस्ती करते हैं, रात को खाना खाने के बाद एक बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड बन जाते है और प्यार मोहब्बत करते हैं। उसमें सब कुछ करते है केवल एक कार्यक्रम को छोड़ के।
मुझे तो ये सब बातें सुन कर एकदम से नशा हो गया और मेरा जो लण्ड एक बार शांत हो गया था, फिर से फड़फ़ड़ाने लग गया।
तब तक रात के 12 बजने वाले थे।
अचानक से टी टी ने आया और मुझे एक तरफ़ ले जा कर बोला- सेकेण्ड ए सी में एक ही सीट है ऊपर वाली, लेकिन पैसा ज्यादा लगेंगे।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप सीट दे दो।
उसने सीट मुझे दे दी।
निशा की तरफ मैंने देखा और मुस्कुरा दिया और वो भी मुझे देख कर मुस्करा दी।
मैंने बोला- निशा, चलो हम चलते हैं और तुम अपने पापा को भी जगा दो।
उसने अपने पापा को उठाया और बोली- इन्होंने ने टी टी से बड़ी मुश्किल से एक सीट ली है और आप कहें तो हम भी चलते हैं।
वो थोड़ी नींद में थे और कोई चारा न देख कर बोले- चलो।
हम सीट पर गए और देखा कि नीचे वाली सीट पर एक दस साल का बच्चा सोया हुआ है।
हमने लाइट जलाई तो उसके पापा उठ गए। हमने हमारी परेशानी बताई कि हमारे साथ बुजुर्ग हैं तो उन्होंने कहा- ठीक है, बच्चा अकेले सोया है तो आप एक जना उसके पास बैठ जाये, इससे मुझे भी फिकर नहीं होगी।
निशा के पापा ने कहा- मैं ऊपर नहीं जा सकता, मैं नीचे बैठा हूँ। आप दोनों ऊपर वाली सीट में चले जाओ।
क्योंकि सीट मेरी थी, शायद यह सोच कर उन्होंने ऐसा बोला क्योंकि उनके पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था।
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें ! और मेरे लंड को भी क्या चाहिए था निशा का साथ, जिसका इंतजाम होते हुए मुझे दिख रहा था।
मैंने कहा- ठीक है अंकल, जैसा आप बोलो।
फिर हम दोनों ऊपर आ गए, एक दूसरे के सामने होकत बैठ गए पाँव को लम्बा करके।
मैंने नाइट लेम्प जला दिया था।
मैंने बोला- निशा, कोई परेशानी नहीं है ना ऐसे बैठने में?
बोली- नहीं जी, आपके साथ क्या परेशानी?
मैं बोला- तो ठीक है, फिर सो जाते हैं क्योंकि रात काफी हो गई है।
हम दूसरे की तरफ चूतड़ करके लेट गए। निशा के चूतड़ जब मेरे घुटने पर लगे तो एक बार वो दूर हट गई।
मैंने बोला- कोई बात नहीं निशा, आराम से सो जाओ, क्या फर्क पड़ता है।
वो बोली- ठीक है।
मैंने बोला- अच्छा मैं घूम कर सो जाऊँ तो कोई दिक्कत नहीं है ना?
उसने कहा- आपको जो अच्छा लगे, जैसे अच्छा लगे, सो जाइए।
मैंने झट से घूम कर निशा के चूतड़ों में अपना लंड सटा दिया। लंड पूरा गरम हो चुका था। उसे भी शायद बहुत अच्छा लगा क्योंकि उसने भी अपने टांगें और फैला दी। मैंने उसके कूल्हों के बीच में अपने लंड का दबाव बना कर उसके दोनों पैरों को जोर से पकड़ लिया। उसने लेगिंग पहनी हुई थी जिससे उसकी गांड एकदम से कसी हुई मस्त लग रही थी।
मैंने उसके चूतरों पर हल्के से हाथ फेरा तो उसने भी अपनी गांड को मटका कर जवाब दिया।
मैंने धीरे से बोला- निशा जान, तू मेरे पास आ जा ना।
वो बोली- डार्लिंग, मैं भी तो तड़प रही हूँ।
और वो सीधे मेरे पास आकर लेट गई।
फिर हमने तुरन्त चूमाचाटी शुरु कर दी। वो तो पूरी तरह से गर्म थी। मैंने उसकी एक चुच्ची निकाल कर चूसना शुरु किया तो उसको जैसे करेंट लग गया, वो पागल सी होने लगी और मेरा लंड पर हाथ रख कर जोर से हिलाने लग गई।
फिर कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और मैं उसकी चूत लेगिंग के ऊपर से ही और वो ज़िप खोल कर मेरा लंड चूसने लगी।
मैं तो कब से गर्म था, मेरे लंड से एकदम पानी निकल गया। उसने सारा माल अपने मुँह में ले लिया और चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
अब मैंने भी उसकी लेगिंग के अन्दर हाथ घुसाया यर चूत को उंगली से मसल मसल कर उसका पानी निकाल दिया।
मैंने बोला- निशा, आज तो मजा आ गया जान। तुमने तो मेरी लाइफ बना दी।
वो मुस्करा दी।
फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करने लग गए।
इतने में मेरा लंड फिर तन गया पर मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकता था। बस पूरी रात हमने चूमाचाटी में बिता दी, एक मिनट के लिए भी नहीं सोये।

रविवार, 24 मार्च 2013

Girl games - Play girl games online and dress up games at yokogames.com

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Vintage headwear

Vintage headwear: In this game, were gonna travel back to the time period between 50s and 70s. We have old fashioned hats and make up supplies to match with them. Old fashioned hats are very pretty so were sure you enjoy this game very much. Have fun! is a great game that you will be able to play everyday.

Dress Up Spacey Game

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

फाड़िए मगर प्यार से

उसे पाने की मेरी इच्छा को और बढ़ा दिया था। मैं अगले ही दिन शाम को सुगंधा के छात्रावास पहुँचा। मैंने उस तक संदेशा भिजवाया कि बहुत जरूरी काम है जल्द से जल्द वो बाहर आ जाए। वो बाहर निकली। उसने सलवार सूट पहन रखा था।
उसने पूछा, “क्या हुआ भैया, इतने दिनों तक मेरी कोई खोज खबर नहीं ली आपने और अचानक इतना जरूरी काम आ पड़ा कि दौड़े चले आए? कल सुबह आठ बजे से मेरी पहली कक्षा है, उसके लिए मेरा कुछ काम बाकी रह गया है, जो कहना हो जल्दी कहिए।”
मैंने कहा, “तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं जो यहाँ खड़े खड़े नहीं हो सकतीं। चलो मेरे साथ। मैं कल एकदम सुबह सुबह तुम्हें वापस छोड़ जाऊँगा।”
वो बोली, “तो क्या मैं रात भर आपके साथ रहूँगी।”
मैंने कहा, “हाँ।”
वो मुस्कुराकर बोली, “तो मैं अपने कपड़े ले लूँ और पुस्तक-पुस्तिका भी ले लूँ ताकि मैं अपनी पढ़ाई कर सकूँ।”
मैंने कहा, “हाँ ले लो।”
वो अपने कपड़े और अन्य सामान लेकर बाहर आई। हम कमरे पर आ गए। जैसे ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया उसने अपने हाथ में थमा सामान बिस्तर पर फेंका और पीछे से मुझसे लिपट गई।
मैंने कहा, “यह क्या कर रही हो? तुम्हें तो पढ़ाई करनी है न? हम दोनों चचेरे हैं तो क्या हुआ, हैं तो बहन भाई ही न। अब तक हमारे बीच जो कुछ हुआ वो सब मेरी भूल थी। अब आगे से हम दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं होगा।”
उसने मुझे छोड़ दिया और अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर खड़ी हो गई और अजीब से नज़रों से मुझे देखने लगी, उसने कहा, “क्यों कोई और मिल गई है क्या?”
ये लड़कियाँ संभोग करने के बाद ज्यादा समझदार हो जाती हैं क्या? मैंने कहा, “हाँ।”
उसने पूछा, “कौन?”
मैंने कहा, “वो पड़ोस में जो राधा रहती है ना वो।”
उसने कहा, “ये राधा कौन है? पहले तो आपने कभी उसका जिक्र नहीं किया।”
मैंने कहा, “पहले कभी मौका नहीं लगा।”
उसने कहा, “तो अब मैं क्या करूँ?”
मैंने कहा, “तूम भी अपने लिए कोई पुरुष मित्र ढूँढ लो। हमारे बीच ये सब ठीक नहीं है।”
उसने कहा, “तो मुझे यहाँ क्यों लेकर आए?”
मैंने कहा, “कुछ पूछना है तुमसे इसलिए।”
वो बोली, “क्या पूछना है?”
मैंने कहा, “जब मैंने पहली बार तुम्हारी योनि में अपना लिंग डाला था तो ज्यादा खून नहीं निकला था और दर्द भी तुम सह गई थी। लेकिन जब मैंने राधा की योनि में लिंग घुसाने की कोशिश की तो ढेर सारा खून निकला और उसे इतना दर्द हुआ कि उसने घुसवाने से मना कर दिया। तुम तो जीव विज्ञान की छात्रा हो बताओ ऐसा क्यूँ हुआ।”
उसने कहा, “तो इसलिए मुझे लेकर आए हैं आप। जाइये नहीं बताऊँगी।”
मैंने कहा, “प्लीज सुगंधा बता दे न यार। प्लीज।”
वो बोली, “एक शर्त है।”
मैंने कहा, “क्या?”
उसने कहा, “आज रात आपको मेरे साथ संभोग करना होगा।”
मैंने कहा, “नहीं मैं नहीं कर सकता।”
उसने कहा, “तो जाइए मैं नहीं बताती।”
यह लड़की भी न। चलो झूठ मूठ का वादा कर देता हूँ बाद में तोड़ दूँगा तो यह क्या कर लेगी, मैंने कहा, “अच्छा ठीक है। लेकिन सिर्फ़ आज की रात, उसके बाद कभी नहीं।”
वो खुश हो गई और उसने बताना शुरू किया, “हर लड़की की योनि के भीतर योनि का छेद ढँकने के लिए एक झिल्ली होती है जिसकी मोटाई, आकार एवं आकृति अलग अलग लड़कियों में अलग अलग होती है। मेरी योनि की झिल्ली पतली रही होगी और उसका छेद बड़ा रहा होगा जिससे मुझे दर्द कम हुआ और आपने आसानी से फाड़ दी। राधा की योनि की झिल्ली काफी मोटी होगी और उसका छेद भी छोटा सा होगा जिसकी वजह से आप उसे नहीं फाड़ पाए होंगे और मोटी झिल्ली में रक्त की नसें ज्यादा होने से खून भी खूब निकला होगा।”
मैंने कहा, “तो अब मैं क्या करूँ। कैसे फाड़ूँ इस झिल्ली को।”
वो बोली, “प्यार से फाड़ोगे तो हर झिल्ली फट जाएगी। पहले कोई पतली सी चीज क्रीम वगैरह लगा कर उसके भीतर डालो फिर और मोटी डालो फिर और मोटी। धीरे धीरे योनि की मांसपेशियाँ ढीली होती जाएँगी। आखिर बच्चा भी तो इसी छेद से निकलता है। यह ध्यान रहे कि यह काम रोज करते रहिएगा वरना मांसपेशियाँ फिर अपने पुराने आकार में आ जाएँगी। यह वैसे ही है जैसे कान में छेद करके अगर कुछ पहना दिया जाय तो छेद बना रहता है वरना भर जाता है। जैसे बच्चा निकलने के बाद योनि का छेद फिर अपने पुराने आकार में आ जाता है। इस तरह धीरे धीरे मगर लगातार छेद चौड़ा करते जाइए। अंत में तो आपका भीमकाय लिंग है ही।”
मैंने कहा, “इसमें तो कई दिन लगेंगे।”
उसने कहा, “सब्र करना सीखिए। सब्र का फल मीठा होता है।”
मैंने कहा, “एक बात और पूछनी है।”
उसने कहा, “क्या?”
मैंने पूछा, “तुमने उस दिन संभोग के दौरान कहा था कि आज सुरक्षित समय है। यह सुरक्षित समय क्या होता है?”
उसने कहा, “माहवारी आने के पाँच दिन पहले और खत्म होने के दो दिन बाद तक का समय सुरक्षित होता है। इसके अलावा बाकी सारे दिनों में वीर्य योनि के भीतर डालने पर लड़की को गर्भ ठहर सकता है।”
मैंने पूछा, “ऐसा क्यों होता है?”
वो बोली, “अब पूरी बात समझाने में तो मुझे सुबह हो जाएगी। यह समझ लीजिए कि यदि आप शादीशुदा होते तो पहले सात दिन और बाद के तीन दिन सुरक्षित होते हैं। लेकिन आप शादीशुदा तो हैं नहीं इसलिए बिल्कुल भी खतरा मत मोल लीजिएगा। पाँच दिन पहले के और दो दिन बाद के, बाकी के दिन बाहर डिस्चार्ज के।”
मुझे हँसी आ गई। यह तो वाकई पढ़ाकू लड़की है। या हो सकता है कि मेरे साथ संभोग के बाद इसने ये सब पढ़ा हो ताकि जान सके कि कब गर्भ ठहरने का खतरा है कब नहीं।
सुगंधा बाथरूम में गई। मैं बिस्तर पर बैठकर सोचने लगा कि क्या बहाना करूँ ताकि इसके साथ संभोग न करना पड़े। वो बाहर निकली। उसके शरीर पर सिर्फ़ पैंटी और ब्रा थी। यह लाल वाली पैंटी तो मैंने ही खरीदी थी। जानबूझ कर मैंने दस में से तीन पैंटी छोटी छोटी खरीदी थी। खरीदते समय मुझे यह पता नहीं था कि मैं नेहा से संभोग कर बैठूँगा और वो मुझे सुगंधा के साथ संभोग करने से मना कर देगी। सुगंधा ने पता नहीं कब जाकर लाल रंग की ब्रा भी खरीद ली थी।
क्या लग रही थी वो। उसका हल्का साँवला रंग बल्ब की सुनहली रोशनी में जगमगा रहा था। मेरे हृदय ने जोर लगा लगाकर मेरे लिंग में अतिरिक्त रक्त भेजना शुरू कर दिया। छोटी सी पैंटी जो आधी पारदर्शी थी उसमें से साफ दिख रहा था कि उसने अपनी योनि के बाल साफ कर लिए हैं।
हे कामदेव, यह लड़की तो पूरी तैयारी के साथ आई है।
वो कमर पर हाथ रखकर थोड़ा सा तिरछा होकर खड़ी थी। मैं अपनी आँखें बंद कर लेना चाहता था मगर पलकें मेरा साथ नहीं दे रही थीं। जब मैं थोड़ी देर तक नहीं उठा तो वो रसोई के अंदर गई। बाहर आई तो उसके हाथ में शहद की शीशी थी। उसने अपनी ब्रा उतार दी। उसके मांसल उरोज जो आज और बड़े लग रहे थे, फड़फड़ा उठे। वो शीशी में से शहद निकालकर अपने चूचुकों पर लगाने लगी।
अब बात मेरे बर्दाश्त के बाहर थी। मैं उठा और उसके पास गया। उसके एक चूचुक को मुँह में लेकर पागलों की तरह शहद चूसने लगा। वो आहें भरने लगी। सारा शहद चूसकर मैंने दूसरे चूचुक को मुँह में लिया। उसका भी शहद चूसकर सुखा दिया। मैंने शहद की शीशी उसके हाथ से लेकर वहीं जमीन पर रख दी। फिर मैंने उसे गोद में उठाया और ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया।
मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था। मैंने उसकी पैंटी एक झटके में उतार दी। उसकी चमकती हुई सफाचट योनि मेरे सामने थी, मैंने उसकी योनि को मुँह में भरकर चूसना शुरू किया। मुझसे जितना हो सकता था मैं उतनी तेजी से योनि चूस रहा था। फिर मैंने योनि को थोड़ा सा फैलाकर उसके भीतर स्थित मटर के दाने को चूसना शुरू किया। वो मस्त होकर अपनी कमर उछालने लगी। अब सुगंधा पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मैंने मौके का फायदा उठाने का निर्णय किया।
मैं एक झटके से उसकी योनि छोड़कर उठा और शहद की शीशी उठाकर ले आया। मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और अपना लिंगमुंड निकाल कर उस पर शहद लगाया।
सुगंधा ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा, उसने पूछा, “शहद लगाकर डालेंगे क्या।”
मैंने कहा, “डालूँगा तो मगर तुम्हारी योनि में नहीं, तुम्हारे मुँह में।”
उसने जोर से मुँह बंद कर लिया और अपना सिर हिलाने लगी। मैं उसके ऊपर इस तरह बैठ गया कि मेरा भीमकाय लिंग उसके मुँह तक पहुँचे। मैंने एक हाथ से उसका चेहरा पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके होंठों पर अपना लिंग रगड़ने लगा। शहद उसके होंठों पर लग चुका था। अब मैंने एक हाथ से उसकी नाक बंद कर दी। उसने साँस लेने के लिए अपना मुँह खोला और मैंने अपना लिंग उसके मुँह में डालकर उसकी नाक छोड़ दी। वो जोर जोर से साँस लेने लगी। साँस रुकने की वजह से कुछ पलों के लिए लिंग पर से उसका ध्यान हट गया था।
लिंग पर लगा शहद उसके मुँह में घुलने लगा। उसने अपना चेहरा हिलाकर लिंग निकालने की कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उसका चेहरा कस कर पकड़ा हुआ था। कुछ क्षणों बाद उसने हालात से समझौता कर लिया। शहद उसके मुँह में लार के साथ मिलकर उसके गले में उतर रहा था। मीठा मीठा शहद उसे अच्छा लग रहा था।
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया। वो अभी भी लिंग चूसने के मूड में नहीं थी। लेकिन अब मैं बिना चुसवाए उसे छोड़ने वाला नहीं था। कुछ देर तक मैंने धीरे धीरे लिंग मुंड अंदर बाहर किया फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। जब लगा कि मैं अब सँभाल नहीं पाऊँगा और इसके मुँह में ही मेरा वीर्य गिर जाएगा तो मैंने अपना लिंग बाहर निकाला।
वो बोली, “छिः बहुत गंदे हो गए हो आप।”
पर अब लिंग को छोड़कर मेरी बाकी इंद्रियों ने काम करना बंद कर दिया था। मैं तुरंत उसके ऊपर आया और उसकी योनि पर लिंग रखकर एक जोरदार झटका मारा। मेरा लिंगमुंड उसकी योनि में उतर गया।
वो चीख पड़ी।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोली, “दर्द हो रहा है।”
मैंने कहा, “क्यों। तुम्हारी योनि तो मैं पहले ही फाड़ चुका हूँ।”
वो बोली, “इतनी जल्दी भूल गए मैंने कहा था न कि यदि लगातार संभोग न किया जाय तो योनि अपनी पहली वाली अवस्था में आने लगती है ऊपर से आपका लिंग इतना मोटा है। हर हफ़्ते मेरे साथ संभोग करते रहिए तो मुझे दर्द नहीं होगा। और एक बात तो आप हमेशा के लिए गाँठ बाँध लीजिए आपके भीमकाय लिंग को देखते हुए बहुत काम आएगी। फाड़िए मगर प्यार से।”
कहकर उसने हथेलियों में अपना मुँह छिपा लिया।
बात तो वो सही कर रही थी मुझे अपने लिंग पर उसकी योनि का कसाव महसूस हो रहा था। मैंने अपने आप को काबू में किया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। मेरा लिंगमुंड उसकी योनि की गहराइयों में उतरने लगा। थोड़ी देर बाद मेरा पूरा लिंग उसकी योनि में समा गया।
अब मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी। तेजी से उसकी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। वो अपने नितंब उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे कसकर अपनी बाहों में ले लिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। उसने भी मुझे कसकर चिपका लिया। एक बार फिर मेरे मुँह से गंदे गंदे शब्द निकलने लगे।
फिर मैंने उसकी टाँगें अपने नितंबों के ऊपर चढ़ा लीं। अब उसके गर्भाशय तक मेरा भीमकाय लिंग पहुँच रहा था। मैंने उसके कान में कहा, “सुगंधा मेरी जान योनि के अंदर वीर्य गिरा दूँ।”
वो बोली, “गिरा दीजिए। सुरक्षित समय है।”
मैंने और कसकर उसे पकड़ लिया और पूछा, “सुगंधा मेरे बच्चे की माँ बनेगी।”
वो बोली, “हाँ बनूँगी। मेरी योनि में अपना सारा वीर्य डाल दो। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ।”
उसके मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने और जोर जोर से धक्के मारना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य निकल निकलकर उसकी योनि में गिरने लगा। वो भी मुझसे कसकर चिपक गई। उसका बदन काँपने लगा। थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे लेटे अपनी साँसें व्यवस्थित करने की कोशिश करते रहे। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैं उठा और बाथरूम गया। वापस आकर मैंने अपने कपड़े पहने। सुगंधा ने भी यही किया।
अचानक उसने मुझसे पूछा, “आपकी यह राधा नेहा ही है न।”
मुझे आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे पता चल गया, मैंने कहा, “नहीं तो?”
वो बोली, “सोच लीजिए अगर नेहा हो तो मुझे उससे मिला लीजिए, मैं उसे सब समझा दूँगी। फिर वो आपके लिंग से डरना छोड़ देगी। वरना आपकी मर्जी। मेरा क्या जाता है।”
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा। बात तो इसकी सही है। एक लड़की ही दूसरी लड़की को संभोग के बारे में विस्तार से समझा सकती है। मैं सुगंधा को लेकर नीचे गया। मकान मालिक अभी आए नहीं थे। मकान मालकिन और नेहा नीचे थे। मैंने उन्हें नमस्ते किया और उनके पास बैठ गया।
उन्होंने नेहा को चाय बनाने के लिए भेजा तो सुगंधा ने कहा- मैं भी मदद करती हूँ !
और वो भी भीतर चली गई। दोनों चाय बनाकर लाईं। हमने चाय पी। थोड़ी इधर उधर की बातें हुईं फिर मैं और सुगंधा ऊपर आ गए।
ऊपर आकर सुगंधा ने कहा- अब आप जाइए और घूम घामकर तीन चार घंटे बाद आइएगा, मैंने नेहा को बुलाया है, वो आएगी तो मैं उसे सब समझा दूँगी।
हे कामदेव यह लड़की कितनी बेशर्म हो गई है। अभी एक साल पहले की ही बात है मैं इसके सामने मुँह से गालियाँ निकालते हुए भी डरता था और अब ये मेरे लिए लड़की तैयार कर रही है।
"हे कामदेव, तुम जो न करवा दो।"
फिर मैं अपने एक दोस्त के यहाँ जाने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में मैं नेहा के साथ संभोग के ख्याली पुलाव पका रहा था और आगे की योजना बना रहा था।

बुधवार, 20 मार्च 2013

बरसात की एक रात दोस्त की बीवी के साथ



मेरे दोस्त की नई नई शादी हुई थी, उसकी बीवी कितनी हॉट थी क्या बताऊँ।
गोरा गोरा रंग, तराशा बदन, बड़ी बड़ी आँखें, लम्बे बाल, पंखुड़ियों से होंठ, आम जैसी चूचियाँ, बड़े बड़े गोल गोल कूल्हे, गदराई जवानी जिसका मजा लेने को मैं बेताब था।
बरसात की एक रात थी जब मेरा दोस्त बिज़नस के लिए बाहर गया था, मैं उसके घर पहुँचा।
बिजली गुल थी, मैं जब गया तो दरवाज़ा खुला था, बिजली तभी गई थी।
मैं सीधा अन्दर चला गया। वो शायद रसोई में थी। उसने लाल साड़ी पहन रखी थी जिसके आरपार उसका ब्लाऊज दिख रहा था।
मैंने दरवाज़ा खटखटाया तो वह आई।
तभी बिजली कड़की और वो डरकर मुझसे लिपट गई।
मैं और क्या चाहता था?
मैंने उससे जोर से अपनी बाहों में समेट लिया, उसके माथे को चूमा, उसके चूतड़ों पर हाथ रखा और उसके होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए।
उसने समझा शायद उसका पति हूँ मैं, अँधेरे में पता ना चला।
उसने छोड़ना चाहा लेकिन मैंने उसे पकड़ कर रखा।
उसने कहा- यह आपको आज क्या हो गया है? इतना प्यार अचानक?
मैं कुछ ना बोला, मैंने उसका पल्लू नीचे गिराया, उसकी चूचियाँ टटोलने लगा।
वह बोली- पहले चाय तो पी लो, थोड़ा फ्रेश हो जाओ।
मैं बोला- कोई बात नहीं, आज आपको प्यार करने को जी चाहता है।
वह शरमा गई, बोली- आपकी आवाज़ को क्या हो गया है?
मैं बोला- गला बैठ गया है।
मैंने उसे उठाया बाँहों में उठाया और बेडरूम में ले आया। बीच में उसके होठों को चूसता रहा।
बेडरूम में दोस्त की फोटो थी।
मैंने उसे बिस्तर पर डाला, फिर बोला- रानी आज मैं आपको जी भरकर प्यार करूँगा। पहले मैं आपको लंड नमस्कार कराऊँगा।
वह बोली- यह क्या होता है?
मैं बोला- मेरी पैंट उतारो, पता लग जायेगा।
उसने मेरी जिप खोली। मैंने पैंट निकाली, मेरा लंड खड़ा था। मैंने उसके ललाट को चूमा, फिर उसके बालों को सहलाया। फिर अपना लंड उसके सर को छुआया, मैंने कहा- मेरा लंड आपको प्रणाम करता है।
फिर उसकी नाक को चूमा और लंड को छुआया, फिर उसके होठों पर अपने होंठ रख कर चूसे।
मैंने कहा- केला खाओगी क्या?
उसने कहा- हाँ।
मैंने उसके मुँह में लंड घुसेड़ दिया।
मैंने कहा- चूस मेरी रानी।
उसने चूसा।
फिर मैंने उसके गले को किस किया और चूचियों तक पहुँचा। मेरी तमन्ना पूरी होने वाली थी।
तभी फ़ोन बजा, मैंने उठाया, मेरा दोस्त था।
उसने अपनी बीवी राम्या के बारे में पूछा।
मैंने कहा- चुद रही है।
उसने कहा- क्या?
उसने मुझे गाली दी, फिर उसने सम्हालकर कहा- कोई बात नहीं, अच्छे से चोदो, मुझे एक बच्चा चाहिए। मैं उसे कभी खुश नहीं कर पाया।
मैंने कहा- जरूर।
कहता हुए मैंने एक हाथ से जोर से राम्या की चूची दबाई तो वह चिल्ला उठी।
दोस्त बोला- जरा प्यार से करो।
मैंने फ़ोन रख दिया।
वह बोली- किसका फ़ोन था?
मैंने कहा- एक दोस्त था ! मेरी रानी कैसा लग रहा है?
वह बोली- अच्छा।
मैंने कहा- मेरी छम्मकछ्ल्लो तेरी चूचियाँ बहुत मजेदार हैं, जरा दिखा दे।
वह बोली- नहीं अभी नहीं। ये मेरे बच्चे के लिए हैं।
मैंने उसकी बाई चूची को दबाया, फिर दाईं को दबाया। उसकी चूचिया बड़ी होने लगी।
मैंने कहा- देखो ब्लाऊज फट जायेगा, इसे उतार दो।
मैंने बटन खोलने शुरू किया, उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर फिर उसके हाथ को पकड़ा और मुंह से ब्लाऊज को फ़ाड़ डाला।
वह- आप मेरा बलात्कार कर रहे हो क्या?
मैं- नहीं रानी, प्यार है यह।
उसकी चूचियाँ अभी भी ब्रा में थी, मैंने ब्रा में उंगली डाली और चूचियों को चोदना शुरू किया।
फिर हुक खोल दिए तो अब उसकी चुचिया मेरे सामने थी। गोरी गोरी चूचियाँ।
मैंने उसके बाईं चूची से अपना लंड छुआ, फिर दाईं से।
मैंने कहा- वाह, क्या आम हैं ! राम्या, आपके आम तो बहुत रसीले है। चख लूँ क्या?
वह कुछ नहीं बोली।
मैं एक चूची चूसने लगा, साथ में दूसरी चूची को दबाता रहा, वह सिसकारियाँ लेती रही। फिर दूसरी को चूसा, फिर चूचियों के बीच किस किया।
वह आह उह करती रही। मेरा सपना पूरा हो रहा था।
मैंने कहा- बेबी, जरा आप अपनी दोनों चूचियों को आपस में दबाओ, मैं लंड बीच में डालता हूँ।
उसने वही किया, मैंने उसकी चूचियों को चोदा।
मैंने पूछा- कैसा लगा?
वह शर्म से लाल हो गई। फिर उसकी नाभि को लंड से छुआ और फ़िर किस किया। अब उसके चूतड़ों की बारी थी।
क्या मस्त चूतड़ थे उसके ! मैंने दबाया, किस किया, वह चीख उठी।
फिर मैंने उसकी जांघों को चूमा, मैंने कहा- रानी अपनी टाँगे फैलाओ।
मैंने उसकी चूत को किस किया, उंगली डाली और चोदना शुरू किया।
फिर अपना लंड दाल दिया फचाक से।
तभी लाइट आ गई।
जल्दी में मैं स्विच ऑफ करना भूल गया था। लेकिन उसने आँखे बंद कर ली थी। मैं चोदता रहा, वह सिसकारियाँ लेती रही, आँखें बंद करके और कुछ देर के बाद मैं झड़ गया।
उसने आँखें खोली, मुझे देखा, मैंने उसे देखा।
उसने कहा- यह क्या? यह तो आप हो?
मैंने कहा- रानी मेरी नज़र आप पर पहले से थी। आपको चोदने की इच्छा थी।
उसने मुझे धक्का दिया।
तभी दोस्त का फ़ोन आया, मैंने उठाया और स्पीकर ऑन किया।
उसने पूछा- कैसी लगी मेरी बीवी?
मैंने कहा- बहुत हॉट।
उसने कहा- अच्छे से चुदाई हो गई?
मैंने कहाँ- हाँ जैसा तुमने कहा था।
राम्या सब सुन रही थी।
उसने पूछा- उसको कैसा लगा?
मैंने कहा- पता नहीं, खुद पूछ लेना।
उसने कहा- ठीक है मस्ती करो, राम्या को प्यार देना।
मैंने राम्या को कहा- देखा, यह बोल रहा था तुम्हारा पति, अब बोलो।
वह कुछ ना बोली, धीरे धीरे कपड़े पहनने लगी।
मैंने कहा- थोड़ा साफ़ तो कर लो।
वह चुप रही।
मैंने उसके बालों को सहलाया, वह मुझसे लिपट गई, बोली- आपकी कोई गलती नहीं।
उसने धीरे से मेरे गालों को चूमा।
मैंने उसे उठाया और बाथरूम में ले आया, फिर उसके शरीर पर साबुन लगाया, साफ़ किया।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी आपको?
वह बोली- भाभी मत कहो ! मुझे अच्छा लगा। असल में मैं पहले ही जान गई थी कि आप हैं।
मैंने कहा- आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी हैं।
मैंने उसे साफ़ किया, चूचियों पर फिर किस किया। बदले में उसने मेरे लंड को चूमा।
फिर हम दोनों बिस्तर में घुस कर गए।
मैंने पूछा- फिर कब?
वह बोली- जब आप कहो तब।
मैंने अगले अगले सप्ताह कश्मीर जाने वाला हूँ, चलोगी मेरे साथ?
वह- जरूर मेरे राजा।
मैंने कहा- वाह मेरी रानी।
कहकर मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए जिन्हें वह चूसने लगी।
फिर हम कश्मीर के रास्ते में थे...ट्रेन में.. मैं और वो.. अकेले में....
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